UK-PSC Interview: 5 Powerful उत्तराखंड Secrets to Win
UK-PSC Interview: 5 Powerful उत्तराखंड Secrets to Win
UK-PSC इंटरव्यू में सफलता केवल सामान्य अध्ययन या राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय करंट अफेयर्स पर निर्भर नहीं करती। इस इंटरव्यू की आत्मा उत्तराखंड है—उसका भूगोल, समाज, अर्थव्यवस्था, संस्कृति, प्रशासन और उसकी जमीनी सच्चाइयाँ। बोर्ड यह देखना चाहता है कि आप सिर्फ एक पढ़े-लिखे उम्मीदवार नहीं, बल्कि उत्तराखंड को समझने वाले, महसूस करने वाले और उसके लिए सोचने वाले प्रशासक हैं या नहीं।
UK-PSC और UPSC जैसी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए यह दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि आज Dehradun जैसे शैक्षणिक केंद्रों में upsc coaching in dehradun, IAS coaching in Dehradun, UGC NET coaching in Dehradun और Eklavya जैसे मार्गदर्शन मंचों पर उत्तराखंड विशिष्ट अध्ययन पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
उत्तराखंड विशिष्ट तैयारी का अर्थ है राज्य को किताबों में नहीं, बल्कि एक जीवंत इकाई के रूप में समझना। इस ब्लॉग में हम इसी तैयारी को विभिन्न आयामों में समझेंगे।
3.1 परिचय: मामलों की “स्थिति” (The “State” of Affairs)
उत्तराखंड एक युवा राज्य है, जिसकी स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई। लेकिन इसकी समस्याएँ और संभावनाएँ दोनों ही अत्यंत गहरी और जटिल हैं। UK-PSC इंटरव्यू में “State of Affairs” का अर्थ है—आज उत्तराखंड कहाँ खड़ा है, किन चुनौतियों से जूझ रहा है और किस दिशा में आगे बढ़ सकता है। यही विश्लेषण UPSC इंटरव्यू में भी अपेक्षित होता है।
उत्तराखंड की सबसे बड़ी संरचनात्मक चुनौती उसका भूगोल है। पहाड़ी राज्य होने के कारण यहाँ विकास की गति, लागत और प्राथमिकताएँ मैदानी राज्यों से बिल्कुल अलग हैं। सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार और आपदा प्रबंधन—हर क्षेत्र में भौगोलिक बाधाएँ प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित करती हैं।
दूसरी प्रमुख समस्या पलायन है। पहाड़ी जिलों से युवाओं का बड़े पैमाने पर बाहर जाना न केवल जनसंख्या संतुलन को बिगाड़ रहा है, बल्कि “भूतिया गाँवों” (Ghost Villages) जैसी सामाजिक-आर्थिक समस्या भी पैदा कर रहा है। इसके साथ-साथ महिलाओं पर काम का बोझ बढ़ना, बुजुर्गों की देखभाल, और कृषि का अवनति की ओर जाना—ये सब आपस में जुड़े मुद्दे हैं।
तीसरा महत्वपूर्ण पहलू पर्यावरणीय संवेदनशीलता है। 2013 की केदारनाथ आपदा, 2021 की चमोली त्रासदी, बार-बार होने वाले भूस्खलन और बादल फटने की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि उत्तराखंड में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन सबसे बड़ा प्रशासनिक प्रश्न है। IAS coaching in Dehradun और UPSC coaching in Dehradun में इन घटनाओं को केस-स्टडी के रूप में समझाया जाता है।
इंटरव्यू बोर्ड यहाँ यह देखता है कि क्या उम्मीदवार इन मुद्दों को सतही रूप से जानता है या इनके कारण, प्रभाव और समाधान पर संतुलित दृष्टि रखता है।

3.2 अपने जिले को जानना: सूक्ष्म दृष्टिकोण (The Micro View)
UK-PSC इंटरव्यू में “आपका जिला” केवल एक परिचय नहीं, बल्कि सवालों की खान होता है। बोर्ड मानता है कि जो उम्मीदवार अपने जिले को नहीं जानता, वह राज्य को कैसे समझेगा। यही माइक्रो लेवल समझ UPSC जैसी परीक्षाओं में भी उम्मीदवार को अलग बनाती है।
जिला-स्तरीय तैयारी का अर्थ है:
आपके जिले का भौगोलिक स्वरूप, जलवायु, नदी तंत्र, वन क्षेत्र, प्रमुख फसलें, जनजातीय या सामाजिक संरचना, प्रमुख समस्याएँ और प्रशासनिक चुनौतियाँ।
उदाहरण के लिए, यदि आप पिथौरागढ़ से हैं, तो सीमा क्षेत्र, सामरिक महत्व, चीन-नेपाल सीमा, माइग्रेशन और सड़क कनेक्टिविटी पर सवाल आ सकते हैं।
यदि आप टिहरी से हैं, तो टिहरी बाँध, विस्थापन, जल-विद्युत बनाम पर्यावरण और स्थानीय आजीविका प्रमुख विषय होंगे।
हरिद्वार के उम्मीदवार से शहरीकरण, कांवड़ यात्रा, धार्मिक पर्यटन और गंगा प्रदूषण पर सवाल अपेक्षित हैं।
Eklavya जैसे मार्गदर्शन मंचों पर इसी जिला-स्तरीय विश्लेषण के आधार पर इंटरव्यू प्रैक्टिस कराई जाती है।
बोर्ड यह भी देखता है कि क्या आप स्थानीय समाधान सोच सकते हैं। जैसे:
– आपके जिले में रोजगार कैसे बढ़े?
– स्थानीय संसाधनों का सतत उपयोग कैसे हो?
– प्रशासन और जनता के बीच विश्वास कैसे बने?
Micro View यह साबित करता है कि आप किताबों से नहीं, जमीन से जुड़े हैं।
3.3 अर्थव्यवस्था: पर्यटन, ऊर्जा और आयुष
उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख स्तंभों पर टिकी है—पर्यटन, ऊर्जा और आयुष। इंटरव्यू में इनका संतुलित विश्लेषण अत्यंत आवश्यक है, चाहे वह UK-PSC हो या UPSC।
पर्यटन
उत्तराखंड को “देवभूमि” कहा जाता है। चारधाम यात्रा, धार्मिक पर्यटन, साहसिक पर्यटन, योग-आध्यात्मिक पर्यटन—ये सभी आर्थिक संभावनाओं से भरपूर हैं। लेकिन अंधाधुंध पर्यटन से पर्यावरण, स्थानीय संस्कृति और संसाधनों पर दबाव भी बढ़ा है।
बोर्ड यह जानना चाहता है:
– Carrying capacity का क्या अर्थ है?
– सतत पर्यटन (Sustainable Tourism) कैसे विकसित किया जाए?
– स्थानीय समुदाय को पर्यटन से कैसे जोड़ा जाए?
ऊर्जा
उत्तराखंड जल-विद्युत क्षमता से समृद्ध है। लेकिन बड़े बाँधों से विस्थापन, भूस्खलन और पारिस्थितिक असंतुलन भी जुड़ा है। सौर और लघु जल-विद्युत परियोजनाएँ भविष्य का विकल्प हो सकती हैं।
आयुष
ऋषिकेश और हरिद्वार वैश्विक योग-आयुष केंद्र बन चुके हैं। आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आर्थिक पहचान बन सकते हैं, यदि गुणवत्ता, नियमन और शोध पर ध्यान दिया जाए। UGC NET coaching in Dehradun में इस विषय को अकादमिक दृष्टि से भी समझाया जाता है।
एक संतुलित उम्मीदवार लाभ और जोखिम—दोनों को पहचानता है।
3.4 प्रशासनिक और राजनीतिक परिदृश्य (Administrative & Political Landscape)
UK-PSC इंटरव्यू में प्रशासनिक समझ अत्यंत महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड में शासन व्यवस्था की कुछ विशिष्ट चुनौतियाँ हैं।
पहली, दुर्गम क्षेत्र। प्रशासनिक अधिकारी को ऐसे क्षेत्रों में काम करना पड़ता है जहाँ सड़क, नेटवर्क और संसाधन सीमित होते हैं। यहाँ नेतृत्व, नवाचार और संवेदनशीलता की परीक्षा होती है।
दूसरी, स्थानीय स्वशासन। ग्राम पंचायत, वन पंचायत और नगर निकाय उत्तराखंड के प्रशासनिक ढांचे की रीढ़ हैं। महिलाओं की भागीदारी यहाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
तीसरी, राजनीतिक स्थिरता और नीतिगत निरंतरता। राज्य की नीतियाँ—भूमि, पर्यटन, शिक्षा, रोजगार—राजनीतिक निर्णयों से प्रभावित होती हैं। एक प्रशासक को राजनीतिक दबाव और जनहित के बीच संतुलन बनाना होता है, यही दृष्टि IAS coaching in Dehradun में विकसित की जाती है।
इंटरव्यू में यह देखा जाता है कि उम्मीदवार संवैधानिक मूल्यों, प्रशासनिक निष्पक्षता और लोकतांत्रिक मर्यादाओं को समझता है या नहीं।
3.5 सांस्कृतिक विरासत: कला और संस्कृति
उत्तराखंड की संस्कृति उसकी आत्मा है। इंटरव्यू बोर्ड के लिए यह विषय भावनात्मक और पहचान-आधारित है।
उत्तराखंड की लोककलाएँ—झोड़ा, छपेली, थड्या, पांडव नृत्य, लोकगीत, जागर, हुड़का बोल—सिर्फ कला नहीं, सामाजिक इतिहास हैं। ये पर्वतीय समाज के संघर्ष, विश्वास और सामूहिक चेतना को दर्शाते हैं।
स्थानीय त्यौहार—हरेला, फूलदेई, घी संक्रांति, उत्तरायणी—प्रकृति और जीवन के गहरे संबंध को दिखाते हैं। पारंपरिक पहनावा, खान-पान और वास्तुकला भी सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं।
बोर्ड यह देखता है कि क्या आप संस्कृति को सिर्फ “जानकारी” के रूप में जानते हैं या उसे संरक्षित और संवर्धित करने की दृष्टि रखते हैं। संस्कृति का उपयोग पर्यटन, शिक्षा और सामाजिक एकता के लिए कैसे किया जाए—यह प्रशासनिक सोच का हिस्सा है।
निष्कर्ष
उत्तराखंड विशिष्ट तैयारी UK-PSC इंटरव्यू की रीढ़ है। यह तैयारी उम्मीदवार को एक सामान्य प्रतियोगी से उठाकर राज्य-संवेदनशील प्रशासक बनाती है।
जो उम्मीदवार उत्तराखंड की वर्तमान स्थिति, अपने जिले की जमीनी सच्चाइयों, आर्थिक संभावनाओं, प्रशासनिक चुनौतियों और सांस्कृतिक विरासत को संतुलित दृष्टि से समझता है—वही इंटरव्यू बोर्ड पर गहरी छाप छोड़ता है।
UK-PSC और UPSC इंटरव्यू में उत्तराखंड को “याद” नहीं, समझना होता है।
और जो इसे समझ लेता है, वह केवल परीक्षा नहीं—एक जिम्मेदारी जीतता है।
